Sumiet23

Tuesday, 27 August 2013

ख्वाब...

जो मैं सोचता हूँ, यहाँ वोह होता है |
मेरे दिल की ईबादत, यहाँ कोई तोह सुनता है ||

यहाँ की शांती से, मन मेरा संभलता है |
मेरे अंदर का शक्स, मुझे सामने दिखता है ||

अच्छाईयाँ है हर तरफ, यहाँ तोह बडी सुंदरता है |
मुझ जैसे मरने वाला भी, यहाँ सदियों तक जीता है ||

यहाँ हर घडी हर वक्त, मुझे जिसका खयाल रेहता है |
मेरी आँखों के सामने, एक जिसका चेहरा होता है ||

यहाँ मेरी अमीरी का, ना किसी को हिसाब मिल सकता है |
के सारे जन्नतो का नूर, उसके नाखून में समाता है ||

उसके मिँठी साँसो से, मेरा जहाँ मेहेक उठता है |
जिसका मन और बदन देख, कोहिनूर भी शरमाता है ||

ऐसी मेरी बिवी का मुझसे, यहाँ गेहरा एक रीश्ता है |
वोह मेरी मनु जिसे "सोनपरी", खुद येह खुदाह पुकारता है ||

मेरी जमीन उसकी गोद, यहाँ उसका चेहरा मुझपे छाता है |
उसके सींदूर भरी माँग से, मेरे मौत का हैवान भी काँपता है ||

यहाँ हम दोनो के बींच, ना कोई आँ पाता है |
बस मै -- मेरी मनु, और कुछ नही रेह जाता है ||

आज यहाँ बस गया हूँ मैं, मेरे लौटने की नही संभाव्यता है |
क्यूँ के प्यार बनके मेरा मनु, मुझपे रातदीन बरसता है ||

अब ना उठाओ मुझे नींद से... यारों मेरा जीँ घबराता है |
क्यूँ के एक ख्वाब ही है जो... मुझे मेरी "मानसी" से मिलवाता है ||





                                                  ~ Sumiet's Diary

This was written in the remembrance of Manu..