Sumiet23

Tuesday, 16 April 2013

येह पाप तोह सभी करते है..

येह पाप तोह सभी करते है.. कर के फिर सीने मे दफनाते है..
जब करने से कुच्छ नही लगता.. तो क्यू केहने से शरमाते है..?

येह पाप तोह सबको पता है.. पर क्यू हर कोई मासूम दिखता है..
इस दिल के बदले मे क्यू.. हर कोई जीस्म का सौदा माँगता है..?

येह पाप तोह सभी पे छाया है.. बचपन से ही इसने सताया है..
यारो.. इसी के पेट मे से तोह.. यहाँ हर एक ईन्सान आया है..

येह पाप के तोह है सारे काम.. कोई होता महान तो कोई बद्नाम..
शादी के बाद जो होता है प्यार.. वही क्यू शादी से पेहले है हराम..?

येह पाप तोह सबसे झूठा है.. जाने कितनो को इसने लूटा है..
सौ बार खाने के बाद भी.. क्यू येह जेहेर मीठा है..?

येह पाप तोह खुषनसीब है.. देखो ना कैसे सब के करीब है..
यहाँ अमीरजादों को सब माफ.. और गुन्हेगार सिर्फ गरीब है..

येह पाप ही तोह रीश्ते बनाता है.. सजाके फिर तोड भी देता है..
कभी अच्छा लगता है बुरा.. तोह कभी अच्छा भी बुरा बन जाता है..

येह पाप तोह एक नशा है.. जिसे चढी उसकी दुर्दशा है..
पर क्यू लोगों के लिये जन्नत.. और मेरे लिये आँसू हमेशा है..?

येह पाप तोह हम दोनो ने किया.. लेकिन उसने जहाँ से छुपाया.. और मैने बताया..
येह पाप तोह सभी करते है.. पर, हाय रब्बा कोई तोह बता दो.. मै ही अकेला क्यू पापी बन गया..??





                                           Sumiet23
This was written in the remembrance of Manu..

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