Sumiet23

Friday, 15 February 2013

देखा है मैने करीब से..

देखा है मैने करीब से | इस जहाँ को गेहराई से | एक इन्सान को बदलते हुए | देखा है मैने करीब से..

आँखे से टपकते खून को | अकेलेपन के स्मशान को | एक सच्चे प्यार को हारते हुए | देखा है मैने करीब से..

रीश्तोंको मरते हुए | वादोंके तुटते हुए | बिछड़ते उस बविष्य को | देखा है मैने करीब से..

अपना पराया हो जाना | प्यार नफरत मैं बदलना | अच्छे कर्मोंका बुरा अंजाम | देखा है मैने करीब से..

जिसने जन्नत दिखलाया | मुझसे गेहरा प्यार किया | उसीने दिये मौत को | देखा है मैने करीब से..

जिसके लिये दुनिया छोडी | जिसे हर वोह बात केह दी | उसीके हर झूठे ग्वाँहींको | देखा है मैने करीब से..

जिसे मैने भगवान माना | माँ, बेटी और बेहेन जाना | उसीके पैर की ठोकरोंको | देखा है मैने करीब से..

उसके चाहत भरे मौसम को | उसके हर एक जीस्म को | एक बेवफा के प्यार को | देखा है मैने करीब से..

दुनिया के सामने वोह अच्छी है | पर अंदर से तोह कुछ और ही है..
कोई ना जान सका उस "और" को...  हाँ.. जाना है मैने करीब से..




                                                   - Sumiet23

                        (This Article was written in the remembrance of Manu)

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