Sumiet23

Thursday, 14 February 2013

तेरा ही रहूँगा...

जो भी कुच्छ करुँगा.. अच्छा ही करुँगा..
जिसने मुझे रुलाया.. उसका भी भला चाहुँगा..
अपने गलतीयोंका एहसास.. मैं हर रोज करुँगा..
कल किया था बुरा.. वोह मैं आज पाऊँगा..

तुने समझाया था कभी.. हा मैं अभी समझूँगा..
आँख मैं आँसू छूपाकर.. सबको मैं हसाउँगा..
खुद के खुशी के लिये.. अब ना किसी को सताउँगा..
जहा से आया था मैं.. फिर वही लौट जाऊँगा..

अपनोंने मुझे ठूकराया.. अब किसी का क्या कहलाऊँगा..?
अकेली ईन राहों मैं.. तुझे मैं धूँढ़ता फिरुँगा..
जिंदगी मैं बडा ना बन पाया.. पर अच्छा ईन्सान तोह बनूँगा..

ऐ मेरे खुदा.. जरा अपनाले यह सुमीत को..
के जब तक रहूँगा.. "तेरा ही रहूँगा.........."



Sumiet23

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